Tuesday, April 2, 2013

फ्लैश बैकः 2 अप्रैल 2011



साल 2011 भारतीय क्रिकेट के लिए नई उम्मीद लेकर आया.....क्योंकि इस साल टीम इंडिया ने दूसरी बार इतिहास रचते हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया.....उसने 2 अप्रैल को खेले गए फाइनल में श्रीलंका को हराते हुए इतिहास रच दिया.....लीग मुकाबले से फाइनल तक कैसा रहा टीम इंडिया का सफर, आपको दिखाते हैं।

वर्ल्ड कप 2011
लीग मुकाबले में टीम इंडिया

भारत Vs बांग्लादेश
टीम इंडिया ने क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 में अपने मिशन की शुरूआत उद्घाटन मुकाबले में बांग्लादेश के खिलाफ की.....ये मुकाबला डाका के शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम में खेला गया....जिसमें भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 370 रनों का मैराथन स्कोर खड़ा किया....जवाब में बांग्लादेश ने भी बेहतर खेल दिखाया, लेकिन वो 50 ओवर में 283 रन ही बना सकी....इस तरह टीम इंडिया ने टूर्नामेंट में 87 रनों की जीत के साथ खाता खोला।

भारत Vs इंग्लैंड
वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की दूसरी चुनौती इंग्लिश टीम थी.....इस मैच में एक बार फिर भारतीय बल्लेबाजों का जादू चला और उसने 338 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया.....लेकिन इस रोमांचक मुकाबले में इंग्लैंड ने भी 338 रन बना लिए.....इस तरह ये मुकाबला बिना किसी हार-जीत के टाई खत्म हुआ।

भारत Vs आयरलैंड
वर्ल्ड कप में भारत का तीसरा लीग मुकाबला आयरलैंड की टीम से हुआ....भारतीय गेंदबाजों ने इस मुकाबले में आयरलैंड को 207 रनों पर ही ढेर कर दिया.....लेकिन 208 रनों के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए टीम इंडिया को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.....हालांकि उसने 46वें ओवर 5 विकेट से जीत लिया।

भारत Vs नीदरलैंड्स
टीम इंडिया का अगला लीग मुकाबला नीदरलैंड्स की टीम के साथ हुआ....मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए डच टीम सिर्फ 189 रन ही बना सकी.....190 रनों के लक्ष्य को टीम इंडिया ने आसानी से हासिल करते हुए, ये मैच 5 विकेट से जीत लिया.....टूर्नामेंट में ये भारत की तीसरी जीत थी।
भारत Vs दक्षिण अफ्रीका
वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की अगली चुनौती साउथ अफ्रीकी टीम थी....इस मैच में भारत ने सचिन तेंदुलकर के शतक के चलते 296 रनों का स्कोर खड़ा किया....लेकिन उसकी जीत के लिए ये स्कोर कम पड़ गया.....क्योंकि साउथ अफ्रीका ने 2 गेंद पहले 300 रन बनाकर मैच 3 विकेट से जीत लिया।

भारत Vs वेस्टइंडीज

दक्षिण अफ्रीका से हार के बाद भी टीम इंडिया नॉकआउट दौर में पहुंच चुकी थी.....लेकिन विंडीज के खिलाफ मैच उसकी पोजीशन को ज्यादा मजबूत बना सकता था.....ऐसे में भारत ने इस मुकाबले में युवी के शतक के साथ 268 रन बनाए.....जवाब में कैरेबियाई टीम सिर्फ 188 रन ही बना सकी......यानी ये मैच टीम इंडिया ने 80 रनों से जीत लिया।

वर्ल्ड कप 2011
क्वार्टर फाइनल में टीम इंडिया

भारत Vs ऑस्ट्रेलिया

टीम इंडिया का क्वार्टर फाइनल में वर्ल्ड कप की सबसे हिट टीम यानी ऑस्ट्रेलिया से मुकाबला था.....ऑस्ट्रेलिया ने मैच में पहले बल्लेबाजी की और 260 रनों का मुश्किल स्कोर खड़ा कर दिया.....टीम इंडिया को सेमीफाइनल का टिकट हासिल करने के लिए 261 रनों की चुनौती को पार करना था....ऐसे में युवराज और रैना ने कंगारू गेंदबाजों को फिसड्डी साबित करते हुए, भारत को 5 विकेट से जीत दिलाकर सेमीफाइनल का टिकट दिला दिया।

वर्ल्ड कप 2011
सेमीफाइनल में टीम इंडिया

भारत Vs पाकिस्तान

टीम इंडिया वर्ल्ड कप के उस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी, जहां से एक जीत उसे फाइनल का टिकट दिला सकती थी.....लेकिन सेमीफाइनल मुकाबले में उसकी जंग पाकिस्तान से थी....टीम इंडिया ने इस हाईवोल्टेज मुकाबले में पहले बल्लेबाजी की और 260 रनों का स्करो खड़ा किया....लेकिन इस लक्ष्य के सामने पाकिस्तानी बल्लेबाज पूरी तरह लड़खड़ा गए.....और पूरी टीम 231 रनों पर ढेर हो गई।
वर्ल्ड कप 2011
फाइनल में टीम इंडिया

भारत Vs श्रीलंका

टीम इंडिया उस सपने को साकार करने के एकदम करीब पहुंच चुकी थी....जिसे सचिन, धोनी, युवराज के साथ टीम के सभी धुरधंरों ने देखा था.....बस जरूरत थी फाइनल में लंकाई चीतों को धूल चटाने की....मैच में श्रीलंका ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 274 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया....जिसके जवाब में भारत ने सहवाग और सचिन के विकेट जल्द गंवा दिए....लेकिन इसके बाद गौतम गंभीर, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी ने कमाल की पारीयां खेलते हुए, इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया.....और 6 विकेट की धमाकेदार जीत के साथ टीम इंडिया बन गई वर्ल्ड कप 2011 की चैंपियन।

Friday, December 23, 2011

चैंपियन 'ईयर' 2011


मैं हूं साल 2011.....मैं वो साल हूं जो घड़ी की सुइयों के चंद सफर के साथ ही इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए समा जाउंगा.....लेकिन जाने से पहले मैं आपको अपने एक साल की पूरी दास्तां सुनाना चाहता हूं.....वो दास्तां जो मेरे साथ तो हमेशा ही रहेगी....लेकिन जिसे आप भी अपने जहन में हमेशा के लिए बसा लेंगे.....तो दोस्तों शुरू करता हूं मैं अपना सफर....ठीक एक साल पहले, जब साल 2010 जाने वाला था और मैं दस्तक देने वाला था....तो मैं काफी खुश हुआ....क्योंकि मेरा सफर जब शुरू हुआ, तो टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर थी....टीम इंडिया के लिए प्रोटीज दौरा कभी भी आसान नहीं रहा.....लेकिन इस बार की बात कुछ और ही थी....टीम इंडिया, प्रोटीजों की जमीं पर ऐसे खेली....जिसे देखकर हर कोई दंग रह गया....हालांकि एक बार फिर उसके हाथ जीत नहीं आई....लेकिन उसने मेजबानों को भी जीत से महरुम कर दिया.....और टीम इंडिया के इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही टेस्ट सीरीज ड्रॉ हो गई....टीम इंडिया के इस प्रदर्शन को देख मेरा चेहरा भी खुशी से दमक उठा....लेकिन टेस्ट सीरीज के साथ ही टीम इंडिया के सामने दूसरी चुनौती तैयार थी.....और वो चुनौती थी प्रोटीजों के साथ वनडे सीरीज की....और टीम इंडिया के लिए वनडे सीरीज का सफर हार के साथ शुरू हुआ....टीम की हार को देखकर मैं थोड़ा सा घबरा गया....लेकिन भारतीय टीम ने दूसरे और तीसरे वनडे को जीत मेरे चेहरे की चमक लौटा दी....मैं इस बात को सोचकर खुश हो रहा था, कि वनडे सीरीज की जीत का सेहरा टीम इंडिया के सर बंधने वाला था.....लेकिन टीम इंडिया ने चौथा और पांचवां वनडे हारकर मेरा सपना तोड़ दिया....लेकिन टीम ने प्रोटीज दौर पर जैसा खेल दिखाया, उससे मुझे टीम इंडिया का आने वाले कल का सुनहरा दिखाई देने लगा....क्योंकि इस दौरे के बाद जैसे टीम इंडिया अपनी जमीं पर पहुंची....शुरू हो गया क्रिकेट का सबसे बड़ा कुंभ....जी हां वो महाकुंभ जिसे आप सभी क्रिकेट वर्ल्ड कप के नाम से जानते हैं.....और इस महाकुंभ की शुरुआत हुई भारत और बांग्लादेश के मैच के साथ....अपने पहले ही लीग मुकाबले में टीम इंडिया ने बांग्लादेशी टीम को चारों खाने चित करते हुए....इस महाकुंभ में शानदार आगाज किया.....टीम इंडिया के आगाज को देख इसमें शामिल होने वाली सभी टीमें घबरा गईं....वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के सामने दूसरी चुनौती थी फिरंगी टीम की....और इन दोनों टीमों के बीच क्रिकेट का ऐसा रोमांचक मैच हुआ....कि मैदान पर बैठे हर दर्शक की सांसे थम गई और मैच टाई हो गया....मैं टीम इंडिया से थोड़ा सा नाराज हो गया, क्योंकि उसने हाथ में आया मौका गवां दिया....एक बार फिर मैं अपनी रफ्तार से आगे बढ़ा....और टीम इंडिया को लेकर पहुंच गया लीग मुकाबलों के आखिरी पड़ाव पर.....जहां उसका आखिरी लीग मैच में मुकाबला हुआ वेस्टइंडीज से.....और एक बार फिर टीम इंडिया ने अपने पराक्रम से कैरेबियाई टीम के होश उड़ा दिए....और इस शानदार जीत के साथ उसने वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइलन में अपनी बर्थ बुक कर ली.....टीम इंडिया के क्वार्टर फाइनल में जाने से मैं काफी खुश था....और उससे ज्यादा खुशी इस बात से हो रही थी....कि क्वार्टर फाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होगा....उस ऑस्ट्रेलिया से जिससे टीम इंडिया को वर्ल्ड कप में अपने पिछले कई पुराने हिसाब चुकता करने थे....और फिर आया वो मंजर जब ये दोनों टीमें आमने-सामने आईं....और टीम इंडिया ने कंगारुओं से अपने सारे पुराने हिसाब चुकता करते हुए, उसकी वर्ल्ड कप से विदाई कर सेमीफाइनल में जगह बना ली....टीम इंडिया की इस जीत से मेरे चेहरा खुशी से दमक उठा....क्योंकि सेमीफाइनल में उसका मुकाबला पाकिस्तान से होने वाला था....वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में जब भारत-पाकिस्तान की टीमें एक-दूसरे को चुनौती देने के लिए उतरी....तो दोनों टीमों के लिए ये मुकाबला ही वर्ल्ड कप का फाइनल हो गया....इस हाईवोल्टेज मुकाबले में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 260 रनो का स्कोर बनाया....पाकिस्तान ने टीम इंडिया को पटखनी देने के लिए दमदार शुरुआत की....लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा, पाकिस्तान ने अपने घुटने टेकना शुरू कर दिया....और टीम इंडिया, पाकिस्तान को पटखनी देकर 28 साल बाद अपने सपने को साकार करने के और करीब पहुंच गई....टीम इंडिया के लिए ये पहला मौका था जब वो अपनी जमीं पर क्रिकेट के कुंभ के फाइनल मुकाबले में डुबकी लगाने को पहुंची थी....श्रीलंका के साथ होने वाले इस महामुकाबले के लिए मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम के साथ सैकड़ों खेलप्रमी टीम इंडिया को चैंपियन बनाने के लिए पूरी तरह तैयार थे....और मैं उस पल को सोचकर रोमांचित हो रहा था, जो मैं पहले ही देख चुका था....इस महामुकाबले में श्रीलंकाई टीम ने महेला जयवर्द्धने के शतक के साथ टीम इंडिया को 275 रनों की चुनौती दी....और इस लक्ष्य का पीछा करत हुए टीम इंडिया जैसे ही सहवाग और सचिन आउट हुए....टीम इंडिया का 28 साल बाद चैंपियन बनने का सपना फिर से धुंधला होने लगा....लेकिन चैंपियन बनने का ये मौका इस बार हाथ से निकल जाता.....तो दोबारा जाने कब मिलता....और टीम के धुंधले होते इस सपने को मैदान पर फिर से संजोने का काम किया गौतम गंभीर और विराट कोहली की जोड़ी ने....लेकिन जैसे ही विराट कोहली का विकेट गिरा, लंकाई टीम फिर से फ्रंट फुट पर गई.....ऐसे में कप्तान धोनी मैदान पर आए, और उन्होंने मैदान पर खेली चमत्कारी पारी.....एक ऐसी पारी जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज हो गई....और धोनी के बल्ले से जैसे ही चमत्कारी छक्का निकला....मैं कुछ देर के लिए वहीं थम गया....क्योंकि टीम इंडिया के जश्न को जो नजारा मैं मैदान पर देख रहा था, वो पूरे 28 सालों के बाद आया था.....टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप की ट्रॉफी के साथ जमकर जश्न मनाया.....और उसके इस जश्न में में भी शरीक हो गया....अब मैं खुद पर इस बात से इतरा रहा था, कि मैं ही वो साल 2011 हूं....जिसमें टीम इंडिया दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनीं....टीम इंडिया अब वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी थी....उसने क्रिकेट बिरादरी में अपनी ताकत साबित कर दी थी....और अपनी इसी ताकत का प्रदर्शन करने टीम इंडिया ने कैरेबियाई जमीं पर जून के महीने में कदम रखा....और उसने मेजबान वेस्टइंडीज के साथ सबसे पहले 5 वनडे मैचों की सीरीज खेली....और 5 मैचों की सीरीज के पहले 3 मैच जीतकर सीरीज अपने नाम कर ली....लेकिन अगले दोनों मुकाबलों में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा....इसके बाद टीम इंडिया को मेजबानों से टेस्ट सीरीज में दो-दो हाथ करने थे....और टीम इंडिया ने सीरीज 1-0 के अंतर से जीत, टेस्ट सीरीज भी अपने नाम कर ली....क्रिकेट वर्ल्ड कप और फिर वेस्टइंडीज का दौरा करने के बाद टीम इंडिया पूरी तरह थक चुकी थी....लेकिन उसकी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई थी....क्योंकि उसके सामने अब सबसे बड़ी चुनौती, यानि इंग्लैंड का दौरा था.....मैं टीम इंडिया के इस दौरे को लेकर छोड़ा घबरा गया....क्योंकि थके हारे खिलाड़ियों के देख मुझे खिलाड़ियों में आत्मविश्वास की कमी साफ दिखाई दे रही थी और हुआ भी कुछ ऐसा ही....टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा जुलाई महीने में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान से ऐतिहासक दो हजारवें टेस्ट की चुनौती के साथ शुरू हुआ....और पहले ही टेस्ट में टीम इंडिया के नसीब में शर्मनाक हार तो आई ही....इस टेस्ट से टीम के खिलाड़ियों का चोटिल होना भी शुरू हो गया....टेस्ट के ताज पर राज करने वाली टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था....उसकी टेस्ट बादशाहत पर बट्टा लगता जा रहा था....टीम इंडिया को लॉर्ड्स के बाद नॉटिंघम, बर्मिंघम और ओवल में भी हार का सामना करना पड़ा....जो टीम इंग्लैंड दौरे से पहले टेस्ट की बादशाह थी....वो अब टेस्ट रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गई....टीम इंडिया की ये हालत मुझसे देखी नहीं गई.....लेकिन मैं भी मजबूर था, शायद मुझे टीम इंडिया की अभी और हार देखना थीं....क्योंकि टेस्ट के बाद जब वनडे सीरीज का संग्राम शुरू हुआ....तो टेस्ट मैचों के हार की तरह वनडे में भी उसकी हार का सफर जारी रहा....इंग्लैंड ने उसे 5 वनडे मैचों की सीरीज में 3-0 से मात दे दी....वहीं एक मैच टाई और एक का परिणाम नहीं निकल सका....इतना ही नहीं एकमात्र टी-20 मुकाबले में भी मेजबानों ने टीम इंडिया के नसीब में हार लिख दी....वर्ल्ड चैंपियनों की इस हालत को देख मेरी आंखें भी नम हो गईं....टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे से सबकुछ लुटाकर घर वापस लौट आई.....टीम की इस हार पर कई सवाल खड़े हो गए....जिसका जवाब किसी के पास नहीं था.....किसी ने इसे टीम इंडिया का लचर प्रदर्शन कहा....तो किसी ने कहा कि, धोनी की किस्मत उनसे रूठ गई....टीम इंडिया सवालों के समंदर में चौतरफा घिर चुकी थी....और अब उसे इंतजार था इंग्लैंड के भारतीय दौरे का.....क्योंकि वो इंग्लैंड को अपनी जमीं पर हराकर ही, आलोचकों के मुंह पर ताला लगा सकती थी....और फिर आया वो दिन, जब फिरंगी टीम अपने लाव-लश्कर के साथ भारतीय जमीं पर अक्टूबर महीने में कदम रखा....इधर टीम इंडिया को इंग्लैंड दौरे पर मिली हार का जख्म अब नासूर बन चुका था....ऐसे में ये जख्म को सिर्फ इंग्लैंड की हार से ही भर सकता था....और इस जख्म को भरने के लिए टीम इंडिया ने फिरंगियों के खिलाफ अपना मिशन लगान शुरू किया....और लगान के मिशन की शुरुआत हुई हैदराबाद वनडे के साथ.....अपने पहले ही मैच में टीम इंडिया ने फिरंगियों को बुरी तरह पीट दिया....अंग्रेजों की हार को देख मेरा मुरझाया चेहरा फिर से खिल उठा....साथ ही टीम इंडिया के खिलाड़ियों का खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से लौट आया....और टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसी के अंदाज में हराते हुए दिल्ली, मोहाली, मुंबई और कोलकाता वनडे से सूपड़ा साफ कर दिया....इंग्लिश टीम जहां अपनी हार से हैरान थी....तो माही के मतवाले फिर से मस्त हो चुके थे....हालांकि इंग्लैंड ने टी-20 मैच में भारत को हराकर अपनी लाज बचा ली....टीम इंडिया एक बार फिर से विनिंग ट्रैक पर लौट चुकी थी....टीम की इस धमाकेदार जीत को देख मैं खुशी के समंदर में डुबकी मारने लगा....इसी बीच यानि नवंबर में वेस्टइंडीज ने 5 वनडे मैचों की सीरीज के लिए भारतीय जमीं पर कदम रखा....वेस्टइंडीज के खिलाफ धोनी ने बोर्ड से आराम मांग लिया....और टीम इंडिया की कमान वीरेंद्र सहवाग को सौंप दी गई.....विंडीज ने भारतीय दौरे पर अपना पहला मुकाबला कटक के बाराबती स्टेडियम पर खेला....और इस रोमांचक मुकाबले में टीम इंडिया ने 1 विकेट से जीत दर्ज कर ली....टीम इंडिया ने विशाखापट्टनम वनडे में भी मेहमानों को मात दे दी.....लेकिन तीसरे वनडे में उसने टीम इंडिया को हाराकर सीरीज में पहली जीत दर्ज की....इसके बाद दोनों टीमें पहुंची इंदौर के होलकर स्टेडियम....और यहां पर जो हुआ किसी चमत्कार से कम न था....क्योंकि टीम इंडिया के कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने 219 रनों की पारी खेल नया इतिहास रच दिया....वनडे क्रिकेट में ये वो पारी थी, जिसने भारतीय क्रिकेट की डिक्सनरी में एक नया अध्याय जोड़ दिया....और मुझे टीम इंडिया ने जाने से पहले एक नई सौगात दे दी....अब टीम इंडिया का दिसंबर से ऑस्ट्रेलियाई दौरा शुरू हुआ....लेकिन इस दौरे का परिणाम आखिर साल 2012 में आना है.....इसलिए टीम इंडिया के इस दौरे की अधूरी दास्तान साल 2012 सुनाएगा.....अच्छा दोस्तों अब मेरे जाने के वक्त हो गया....समय का पहिया यूं तो मुझे कभी वापस नहीं ला सकेगा....लेकिन आप जब भी क्रिकेट की डिक्सनरी में साल 2011 को देखेंगे....तो मुझे हमेशा अपने सामने पाएंगे।

Saturday, August 20, 2011

अन्ना-अन्ना, अन्ना-अन्ना


एक अन्ना, दो अन्ना, अनगिनत अन्ना

मेरे दाएं तरफ अन्ना, मेरे बाएं तरफ अन्ना

टीवी चैनल पर अन्ना, अखबारों के पन्नों पर अन्ना

जिसे दिखाई नहीं देता, वो भी अन्ना

जिसे सुनाई नहीं देता, वो भी अन्ना

जो चल नहीं सकता, वो भी अन्ना

भष्टाचार की लड़ाई में, ये देश बन गया अन्ना-अन्ना

मेरे पांव में हैं बेड़ियां, तुम्हारे पास न आने की

लेकिन, यकीन मानों...

सर से लेकर पांव तक, खून का हर कतरा-कतरा

बैठे-बैठे बन चुका है, अन्ना-अन्ना, अन्ना-अन्ना

तुमने पुकारा तो एकजुट हुआ है हिन्दुस्तान

मिटा दो भष्टाचार, बदल दो नियत घूसखोरों की

फिर न होगा इंकलाब, न निकलेंगे लोग घरों से बाहर

बदल दो लकीरें इस देश की तकदीर की

कि याद करें लोग, तुम्हें जाने के बाद

और कहें...

एक था अन्ना, एक था अन्ना।

Monday, June 6, 2011

मैं और गोल्ड कप हॉकी


बात 23 मई की है, मैं अपनी डैस्क पर बैठा हुआ बुलेटिन तैयार कर रहा था। अचानक मेरे पीछे से आवाज आई, नरेंद्र जी आपको सर याद कर रहे हैं, सर का नाम सुनकर मैं थोड़ा सा नर्वस हो गया, हिम्मत जुटाई और मैं सर के केबिन में पहुंचा। थोड़ी देर के बाद मुझसे बातचीत का नंबर आया, और एक नई जिम्मेदारी के मुझे थमा दी गई। दरअसल संपादक जी ने कहा कि आपको कल से औबेदुल्ला हॉकी टूर्नामेंट कवर करने के लिए जाना है। क्योंकि इस टूर्नामेंट का लाइव टेलिकास्ट हमारे चैनल पर हो रहा था, इसलिए मैं थोड़ा सा नर्वस हो गया। लेकि ये सोचकर कि ये मेरे लिए एक चुनौती है, मेरा जोश दोगुना हो गया। फिर क्या अगले दिन शुरू हुआ औबेदुल्ला खां गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट का लाइव कवरेज। जब में भोपाल के ऐतिहासकि ऐशबाग हॉकी स्टेडियम पहुंचा तो मेरी आंखों में एक अलग तरह की चमक थी, कुछ करने का जज्बा मेरे अंदर दस्तक दे रहा था, आखिरकार शाम के 5 बजे और शुरू हो गया कवरेज। पहले बात लाइव और हॉकी खिलाड़ियों तक सीमित रही, लेकिन देखते ही देखते बात हॉकी कॉमेंट्री पर गई। पता नहीं कॉमेंट्री कैसी हुई, लेकिन उस जिम्मेदारी को भी मैंने पूरा कर दिया। टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी के स्टार खिलाड़ी आए हुए थे, और उन्हें अपेल चैनल पर लाना और लाइव बातचीत करना मेरे लिए दिलचस्प अनुभव रहा, जिसे मैं शायद ही कभी भूल पाऊं। कमाल की बात तो ये हुई कि प्रभजोत सिंह को देखकर मैंने उसे पहचान लिया, लेकिन मुझे प्रभजोत का नाम याद हीं आ रहा था। मैं प्रभजोत के पास खड़ा हुआ था कि पीछे से किसी ने आवाज दी वेल प्लेड प्रभजोत। इस आवाज ने मेरी मुश्किलें थोड़ी सी आसान कर दी और फिर मैं प्रभजोत को अपने न्यूज चैनल पर लाइव लाने में कामयाब रहा। प्रभजोत के साथ बातचीत के बाद मेरे कॉन्फिडेंस काफी बढ़ गया। टूर्नामेंट धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया और मैं भी अपना बेस्ट प्रदर्शन करता गया। अब आई 31 जून, यानि टूर्नामेंट के फाइनल की तारीख। फाइनल में सभी की निगाहें मुझ पर टिकी हुईं थी, क्योंकि ये मेरे लिए भी किसी फाइनल के कम नहीं था, यानि मुझे पिछले दिनों की तुलना में अपना और बेहतर प्रदर्शन करना था। अपनी यूनिट के साथ जब हम ऐशबाग पहुंचे, तो एक नया नजारा आंखों के सामने था। दरअसल हमारा कंपटीटर चैनल लाइव के लिए अपना सेटअ जमा चुका था, यानि अब मैदान के अंदर हॉकी और बाहर लाइव का मुकाबला होने वाला था। सारा सेटअप तैयार हुआ और शुरू हो गई लाइव की जंग। फाइनल में खिलाड़ियों के साथ लाइव वन टू वन, मंत्रियों के साथ लाइव बातचीत, पब्लिक के बीच में जाकर कुछ नया करना और जोशीले अंदाज में कॉमेंट्री। इस सभी चीजों ने हमारे लाइव को औरों से अलग बना दिया। एक बात और जैसे-जैसे मैदान पर वक्त बीता मैच को लाइव करने के लिए चैनलों की भीड़ जमा होती गई। आखिरकार मैच खत्म हुआ औ साथ ही खत्म हुआ मेरा शानदार अनुभव। मैं नहीं जानता कि आखिर मैंने इस लाइव के दौरान किस तरह की भूमिका निभाई। लेकिन मैदान पर मौजूद कई बड़ी हस्तियों ने मेरे कार्य को सराहा, मुझे दफ्तर से कई लोगों ने बधाई दी शायद यही मेरी उपलब्धि थी। न हॉकी टूर्नामेंट से मुझे बहुत कुछ हासिल हुआ, लेकिन खुशी सबसे ज्यादा इस बात की थी, कि इस कंप्टीशन के बीच हॉकी का स्तर थोड़ी देर के लिए ऊंचा हो गया था।

(लाइव कवरेज कैसा रहा देखने के लिए FACEBOOK पर NARENDRA JIJHONTIYA को सर्च करें, और अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें। )

Saturday, May 14, 2011

सुपरहिट लव स्टोरी


तेरा मेरा प्यार अमर

कहते हैं हर इंसान की जिंदगी में एक मौका ऐसा आता है....जब उसका दिल किसी के लिए धड़कने लगता है, शायद इसी को प्यार कहते हैं। सचिन तेंदुलकर की लाइफ में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब उनका दिल किसी के लिए जोरों से धड़कने लगा। सचिन का दिल चुराने वाली कोई और नहीं बल्कि उनकी पत्नी अंजली थीं, 17 साल के तेंदुलकर और 21 साल की अंजली की मुलाकत मुंबई एयरपोर्ट पर हुई। सचिन 1990 में इंग्लैंड दौरे पर अपना पहला शतक लगाकर वापस लौटे थे और अंजली अपनी मां को लेने एयरपोर्ट आई थीं, दोनों ने एक-दूसरे को देखा और इनके प्यार ने सात जन्मों की उड़ान भर दी। कहने को अंजली सचिन से चार साल बड़ी थीं और वो एक गुजराती परिवार से थी, लेकिन प्यार तो प्यार है, सचिन ने अंजलि को प्रपोज किया और अंजलि सारी दुनिया छोड़कर सचिन के साथ गई। फिर 24 मई 1995 को सचिन-अंजलि सात जन्मों के लिए के हो गए। अंजलि अच्छी तरह जानती थीं कि सचिन क्रिकेट नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि उनका खेलना देश के लिए जरुरी है। ऐसे में अंजलि ने अपना मेडिलक करियर छोड़ दिया, क्योंकि उस समय सचिन को अंजलि की ज्यादा जरुरत थी। शादी से पहले इन दोनों ने अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने का प्लान बनाया और सचिन को कोई पहचान पाए इसके लिए सचिन को नकली दाढ़ी लगाकर चश्मा पहना दिया, लेकिन जब लोगों ने इन्हें पहचान लिया तो फिल्म को आधी छोड़कर ही भागना पड़ा। शादी से पहले और शादी के बाद सचिन-अंजलि की जिंदगी में ऐसे कई वाक्ये हुए, जो इनके यादगार लम्हों में शामिल हैं। शादी के दो साल बाद सचिन-अंजलि की जिंदगी में उस समय खुशियों की बारिश हुई जब 12 अक्टूबर 1997 को इनके घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया। अंजली ने इसका सचिन के नाम पर सारा रखा। सारा के साथ अभी खुशियों के दो साल पूरे भी नहीं हुए थे, कि 24 सितंबर 1999 को सचिन के घर लिटिल तेंदुलकर का जन्म हुआ और सचिन ने इसका नाम अंजलि के नाम पर अर्जुन रखा गया। अर्जुन के आने से सचिन की परिवार पूरा हो गया और ये कंप्लीट हो गई सचिन की फैमली। क्रिकेट के बाद सचिन के लिए उनका परिवार ही सबकुछ है। सचिन कितने भी बिजी रहें लेकिन वो अपने परिवार के लिए हमेशा वक्त निकाल ही लेते हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है वो अपनी बेटी सारा और बेटे अर्जुन के साथ वक्त बिताते हैं। सचिन ने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा, फिर वो खेलप्रेमियों के लिए रही हों या फिर उनके परिवार के लिए। वाकई सचिन तुम्हारी और अंजलि की जोड़ी सुपरहिट है और तुम रीयल हीरो।

रब ने बना दी जोड़ी

धड़ल्ले से चौके-छक्के मारने वाले माही ने चुपके चुपके मोहब्बत की किताब भी पढ़ डाली और धोनी ने छुपे रुस्मत की तरह 4 जुलाई 2010 को साक्षी रावत से शादी रचा ली। लेकिन धोनी और साक्षी की मुकालात कब हुई, कैसे माही का दिल साक्षी ने चुरा लिया, ये सवाल हर कोई नहीं जानता। तो आप खुद ही पढ़ लीजिए कि कब साक्षी ने टीम इंडिया के कैप्टन कूल को क्लीन बोल्ड कर दिया। दरअसल साक्षी रावत उन दिनों औरंगाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थीं और वो कोलकाता के होटल ताज में इंटर्नशिप कर रही थीं। उन्हीं दिनों जॉन अब्राहम ने एक पार्टी दी, जिसमें टीम इंडिया को भी न्यौता भेजा गया। इसी पार्टी के दौरान पहली बार धोनी की नजर साक्षी पर पड़ी और फिर वो उनकी खूबसूरती के दीवाने हो गए। फिर क्या धोनी ने साक्षी को प्रपोज कर दिया और दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ने लगा। ऐसे में धोनी ने शादी के बारे में अपने परिवार से बात की और महेंद्र सिंह धोनी की शादी खूबसूरत साक्षी से तय हो गई। साक्षी से धोनी की सगाई तो हो गई है लेकिन धोनी और साक्षी का ये सिर्फ एक मुलाकात में हुआ प्यार नहीं था। धोनी, साक्षी से मिलने के लिए कभी कोलकाता, कभी मसूरी तो कभी औरंगाबाद के चक्कर लगाते नजर आए। जाहिर है माही और साक्षी की मुलाकात कोई नई नहीं थी। धोनी और साक्षी की मुलाकात कभी भी हुई हो, लेकिन माही ने कभी भी साक्षी को सुर्खियों में नहीं आने दिया। धोनी की इसी अदा सभी को दीवान बना देती है। इन दोनों के बीच प्यार की बगिया ऐसे ही महकती रहे, माही के फैन्स की यही शुभकामनाएं हैं।


मोहब्बत जिंदाबाद

घर के पड़ोस में रहने वाली लड़की या लड़के को आपस में प्यार हो जाए, ये किस्सा कोई नया नहीं है। इस तरह के सीन ज्यादातर हिन्दी फिल्मों में देखने को मिल जाते हैं, लेकिन तारीफ तो उन प्यार करने वालों की है। जो इस प्यार को शादी का सर्टिफिकेट दिला दे। प्यार की ऐसी ही स्टोरी टीम इंडिया को पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और उनकी पत्नी डोना की है। डोना और गांगुली के परिवार पड़ोसी थे, यहां तक की कोलकाता के बेहाला स्थित इन दोनों घरों की बाउंड्री वॉल एक ही थी और फिल्मी कहानी की तरह दोनों परिवारों में दुश्मनी थी, लेकिन सौरव और डोना तो बचपन से ही एक दूसरे को चाहने लगे थे। गांगुली सेंट जेवियर में पढ़ा करते थे और डोना लोरेटो कॉन्वेंट में, गांगुली डोना की एक झलक पाने के लिए उनके स्कूल के चक्कर काटा करते थे और किसी दिन वो नहीं दिख पाती थी, तो गांगुली उन्हें याद करके ही मुस्कुरा लिया करते थे। जब डोना 12वीं क्लास में आईं तो दोनों अपने रिश्ते को लेकर सीरियस हो गए, लेकिन दोनों के परिवार इस शादी के खिलाफ थे। खासकर गांगुली की फैमिली किसी गैर ब्राह्ममिन लड़की को अपनी बहू नहीं बनाना चाहते थे। समय अपनी रफ्तार से चलता रहा और दोनों अपने-अपने करियर को संवारने में लग गए। सौरव का चयन भारतीय टीम में हो चुका था। इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान पर अपने पहले ही मैच में शतक जमाकर सौरव मशहूर हो गए और फिर दोनों ने कोर्ट मैरिज करने का फैसला कर लिया। गांगुली ने इसके लिए अपने साथी खिलाड़ी मोलोय बेनर्जी को राजी कर लिया, लेकिन मीडिया से बचने के लिए गांगुली ने रजिस्ट्रार को बेनर्जी के घर ही बुलवा लिया और 12 अगस्त 1996 में सौरव और डोना कानूनी तौर पर एक-दूसरे के हो गए। उस समय सौरव 23 और डोना 20 साल की थीं, लेकिन शादी की बात भला कब तक छुपती। जल्द ही दोनों परिवारों को मिस्टर एंड मिसेज गांगुली के बारे में पता चल गया। पहले दोनों के परिवार वाले नाराज हुए, लेकिन बाद में अपने बच्चों की खुशी में शरीक हो गए और 21 फरवरी 1997 को दोनों परिवारों ने मिलकर एक बार फिर दोनों की शादी रस्मो-रिवाज के साथ करवा दी। गांगुली और डोना की ये थी फिल्मी लव स्टोरी, लेकिन रीयल।


नज़र न लगे

प्यार की कोई जुबां नहीं होती इसे तो महसूस किया जाता है और जब कोई इंसान इसे समझने लगता है। तो वो प्यार में डूब जाता है। भारत के ज्यादातर क्रिकेटरों की कुछ ऐसी ही कहानी है। किसी का दिल साधारण सी लड़की पर आ गया, तो किसी का दिल बॉलीवुड की हसीना पर। प्यार की कुछ ऐसी ही कहानी टीम इंडिया के वीरेंद्र सहवाग की है। तब वीरू नौ साल के थे और आरती छह साल की। आरती की बुआ वीरेंद्र सहवाग की नजदीकी रिश्तेदारी में ब्याही थीं, लिहाजा दोनों ही एक-दूसरे को बचपन से जानते थे और दोनों का एक दूसरे के यहां आना जाना भी रहता था, लेकिन दोनों की बीच नजदीकियां 2001 में आईं। वीरू, आरती के इस कदर कायल हुए कि उन्होंने अपने दिल की बात उन्हें बता दी। वैसे आरती को इस दिन का इंतजार बहुत पहले से था। लेकिन दोनों की शादी इतनी आसान नहीं थी। फिर भी दोनों ने अपने प्यार की ताकत पर घरवालों को मना लिया और हमेशा के लिए एक दूसरे के हो गए। ये कहानी है एक क्रिकेटर और साधारण लड़की की। जिन्होंने दिखा दिया कि प्यार के आगे दुनिया को भी झुकाया जा सकता है।

जोड़ी कमाल की

अब आपको बताते हैं एक क्रिकेटर और बॉलीवुड एक्ट्रेस की रीयल लव स्टोरी। इस लव स्टोरी के हीरो हैं टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और हीरोइन हैं संगीता बिजलानी। कहने को जब इन्हें एक दूसरे से प्यार हुआ तो दोनों शादीशुदा थे। लेकिन प्यार किसी चीज का मोहताज नहीं होता, वो तो कभी भी किसी से हो सकता है। अजहर, संगीता के प्यार में इस कदर डूबे, कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया। तो संगीता भी अपना सबकुछ छोड़कर अजहर के पास चली आईं।

एक दूजे के लिए

सफेद रंग के गाउन में लारा दत्ता और ब्लैक रंग के सूट में महेश भूपति जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे, उनका एक-एक सपना सच होता जा रहा था। वो सपने जो इस दिन से पहले दोनों ने एक साथ अपनी पलकों पर संजोए थे। लारा दत्ता को देखकर तो ऐसा लग रहा था, मानों आसमान से कोई परी जमीं पर आ गई हो। तो वहीं भूपति ब्लैक आउटफिट में किसी हीरो से कम नहीं दिख रहे थे। दोनों अपनी शादी में ऐसे झूमकर नाचे, कि कुछ देर के लिए वो सारी दुनिया भूल गए। टेनिस के स्टार खिलाड़ी महेश भूपति और बॉलीवुड की हसीन तारिका लारा दत्ता एक दूसरे के पास कैसे आ गए। ये सवाल आप सभी के जहन में दस्तक दे रहा होगा। अपनी शादी पर 32 साल की हो चुकीं लारा दत्ता ने 2000 में मिस यूनिवर्स बनी। न्यूयॉर्क में रहते हुए कुछ दिनों तक उन्होंने बेसबॉल खिलाड़ी डेरेक जेटर के साथ डेटिंग की। महेश भूपति भी अमेरिका में रह चुके हैं और उनकी पहली शादी 2001 में मॉडल श्वेता जयशंकर से हुई थी। इसी बीच दोनों की मुलाकात हुई और पहली नजर में प्यार भी हो गया, फिर क्या दोनों ने सात जन्मों तक साथ रहने के वादे कर लिए और साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं। फिर क्या दोनों ने जरा भी देर नहीं की और शादी से कुछ दिनों पहले मुंबई में कोर्ट मैरिज कर ली। दोनों ने अपनी कोर्ट मैरिज की गोवा में अपने चाहने वालों को दावत भी दी और फिर वो दिन आ गाय जब 16 फरवरी 2011 को दोनों ने ईसाई रीति रिवाज से एक बार फिर शादी रचा ली। शादी के वक्त महेश भूपति ने जहां लारा को पूरा साथ देने का वादा किया। तो वहीं लारा की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। इन दोनों के चेहरे की चमक बता रही थी कि वाकई ये जोड़ी एक-दूजे के लिए बनी है।