साल 2011 भारतीय क्रिकेट के लिए नई उम्मीद लेकर आया.....क्योंकि इस साल टीम इंडिया ने दूसरी बार इतिहास रचते हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया.....उसने 2 अप्रैल को खेले गए फाइनल में श्रीलंका को हराते हुए इतिहास रच दिया.....लीग मुकाबले से फाइनल तक कैसा रहा टीम इंडिया का सफर, आपको दिखाते हैं।
अब मेरी सुनो...
Tuesday, April 2, 2013
फ्लैश बैकः 2 अप्रैल 2011
साल 2011 भारतीय क्रिकेट के लिए नई उम्मीद लेकर आया.....क्योंकि इस साल टीम इंडिया ने दूसरी बार इतिहास रचते हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया.....उसने 2 अप्रैल को खेले गए फाइनल में श्रीलंका को हराते हुए इतिहास रच दिया.....लीग मुकाबले से फाइनल तक कैसा रहा टीम इंडिया का सफर, आपको दिखाते हैं।
Friday, December 23, 2011
चैंपियन 'ईयर' 2011
Saturday, August 20, 2011
अन्ना-अन्ना, अन्ना-अन्ना
एक अन्ना, दो अन्ना, अनगिनत अन्ना
मेरे दाएं तरफ अन्ना, मेरे बाएं तरफ अन्ना
टीवी चैनल पर अन्ना, अखबारों के पन्नों पर अन्ना
जिसे दिखाई नहीं देता, वो भी अन्ना
जिसे सुनाई नहीं देता, वो भी अन्ना
जो चल नहीं सकता, वो भी अन्ना
भष्टाचार की लड़ाई में, ये देश बन गया अन्ना-अन्ना
मेरे पांव में हैं बेड़ियां, तुम्हारे पास न आने की
लेकिन, यकीन मानों...
सर से लेकर पांव तक, खून का हर कतरा-कतरा
बैठे-बैठे बन चुका है, अन्ना-अन्ना, अन्ना-अन्ना
तुमने पुकारा तो एकजुट हुआ है हिन्दुस्तान
मिटा दो भष्टाचार, बदल दो नियत घूसखोरों की
फिर न होगा इंकलाब, न निकलेंगे लोग घरों से बाहर
बदल दो लकीरें इस देश की तकदीर की
कि याद करें लोग, तुम्हें जाने के बाद
और कहें...
एक था अन्ना, एक था अन्ना।
Monday, June 6, 2011
मैं और गोल्ड कप हॉकी
बात 23 मई की है, मैं अपनी डैस्क पर बैठा हुआ बुलेटिन तैयार कर रहा था। अचानक मेरे पीछे से आवाज आई, नरेंद्र जी आपको सर याद कर रहे हैं, सर का नाम सुनकर मैं थोड़ा सा नर्वस हो गया, हिम्मत जुटाई और मैं सर के केबिन में पहुंचा। थोड़ी देर के बाद मुझसे बातचीत का नंबर आया, और एक नई जिम्मेदारी के मुझे थमा दी गई। दरअसल संपादक जी ने कहा कि आपको कल से औबेदुल्ला हॉकी टूर्नामेंट कवर करने के लिए जाना है। क्योंकि इस टूर्नामेंट का लाइव टेलिकास्ट हमारे चैनल पर हो रहा था, इसलिए मैं थोड़ा सा नर्वस हो गया। लेकिन ये सोचकर कि ये मेरे लिए एक चुनौती है, मेरा जोश दोगुना हो गया। फिर क्या अगले दिन शुरू हुआ औबेदुल्ला खां गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट का लाइव कवरेज। जब में भोपाल के ऐतिहासकि ऐशबाग हॉकी स्टेडियम पहुंचा तो मेरी आंखों में एक अलग तरह की चमक थी, कुछ करने का जज्बा मेरे अंदर दस्तक दे रहा था, आखिरकार शाम के 5 बजे और शुरू हो गया कवरेज। पहले बात लाइव और हॉकी खिलाड़ियों तक सीमित रही, लेकिन देखते ही देखते बात हॉकी कॉमेंट्री पर आ गई। पता नहीं कॉमेंट्री कैसी हुई, लेकिन उस जिम्मेदारी को भी मैंने पूरा कर दिया। टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी के स्टार खिलाड़ी आए हुए थे, और उन्हें अपेल चैनल पर लाना और लाइव बातचीत करना मेरे लिए दिलचस्प अनुभव रहा, जिसे मैं शायद ही कभी भूल पाऊं। कमाल की बात तो ये हुई कि प्रभजोत सिंह को देखकर मैंने उसे पहचान लिया, लेकिन मुझे प्रभजोत का नाम याद नहीं आ रहा था। मैं प्रभजोत के पास खड़ा हुआ था कि पीछे से किसी ने आवाज दी वेल प्लेड प्रभजोत। इस आवाज ने मेरी मुश्किलें थोड़ी सी आसान कर दी और फिर मैं प्रभजोत को अपने न्यूज चैनल पर लाइव लाने में कामयाब रहा। प्रभजोत के साथ बातचीत के बाद मेरे कॉन्फिडेंस काफी बढ़ गया। टूर्नामेंट धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया और मैं भी अपना बेस्ट प्रदर्शन करता गया। अब आई 31 जून, यानि टूर्नामेंट के फाइनल की तारीख। फाइनल में सभी की निगाहें मुझ पर टिकी हुईं थी, क्योंकि ये मेरे लिए भी किसी फाइनल के कम नहीं था, यानि मुझे पिछले दिनों की तुलना में अपना और बेहतर प्रदर्शन करना था। अपनी यूनिट के साथ जब हम ऐशबाग पहुंचे, तो एक नया नजारा आंखों के सामने था। दरअसल हमारा कंपटीटर चैनल लाइव के लिए अपना सेटअप जमा चुका था, यानि अब मैदान के अंदर हॉकी और बाहर लाइव का मुकाबला होने वाला था। सारा सेटअप तैयार हुआ और शुरू हो गई लाइव की जंग। फाइनल में खिलाड़ियों के साथ लाइव वन टू वन, मंत्रियों के साथ लाइव बातचीत, पब्लिक के बीच में जाकर कुछ नया करना और जोशीले अंदाज में कॉमेंट्री। इस सभी चीजों ने हमारे लाइव को औरों से अलग बना दिया। एक बात और जैसे-जैसे मैदान पर वक्त बीता मैच को लाइव करने के लिए चैनलों की भीड़ जमा होती गई। आखिरकार मैच खत्म हुआ और साथ ही खत्म हुआ मेरा शानदार अनुभव। मैं नहीं जानता कि आखिर मैंने इस लाइव के दौरान किस तरह की भूमिका निभाई। लेकिन मैदान पर मौजूद कई बड़ी हस्तियों ने मेरे कार्य को सराहा, मुझे दफ्तर से कई लोगों ने बधाई दी शायद यही मेरी उपलब्धि थी। इन हॉकी टूर्नामेंट से मुझे बहुत कुछ हासिल हुआ, लेकिन खुशी सबसे ज्यादा इस बात की थी, कि इस कंप्टीशन के बीच हॉकी का स्तर थोड़ी देर के लिए ऊंचा हो गया था।
Saturday, May 14, 2011
सुपरहिट लव स्टोरी
तेरा मेरा प्यार अमर
कहते हैं हर इंसान की जिंदगी में एक मौका ऐसा आता है....जब उसका दिल किसी के लिए धड़कने लगता है, शायद इसी को प्यार कहते हैं। सचिन तेंदुलकर की लाइफ में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब उनका दिल किसी के लिए जोरों से धड़कने लगा। सचिन का दिल चुराने वाली कोई और नहीं बल्कि उनकी पत्नी अंजली थीं, 17 साल के तेंदुलकर और 21 साल की अंजली की मुलाकत मुंबई एयरपोर्ट पर हुई। सचिन 1990 में इंग्लैंड दौरे पर अपना पहला शतक लगाकर वापस लौटे थे और अंजली अपनी मां को लेने एयरपोर्ट आई थीं, दोनों ने एक-दूसरे को देखा और इनके प्यार ने सात जन्मों की उड़ान भर दी। कहने को अंजली सचिन से चार साल बड़ी थीं और वो एक गुजराती परिवार से थी, लेकिन प्यार तो प्यार है, सचिन ने अंजलि को प्रपोज किया और अंजलि सारी दुनिया छोड़कर सचिन के साथ आ गई। फिर 24 मई 1995 को सचिन-अंजलि सात जन्मों के लिए के हो गए। अंजलि अच्छी तरह जानती थीं कि सचिन क्रिकेट नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि उनका खेलना देश के लिए जरुरी है। ऐसे में अंजलि ने अपना मेडिलक करियर छोड़ दिया, क्योंकि उस समय सचिन को अंजलि की ज्यादा जरुरत थी। शादी से पहले इन दोनों ने अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने का प्लान बनाया और सचिन को कोई पहचान न पाए इसके लिए सचिन को नकली दाढ़ी लगाकर चश्मा पहना दिया, लेकिन जब लोगों ने इन्हें पहचान लिया तो फिल्म को आधी छोड़कर ही भागना पड़ा। शादी से पहले और शादी के बाद सचिन-अंजलि की जिंदगी में ऐसे कई वाक्ये हुए, जो इनके यादगार लम्हों में शामिल हैं। शादी के दो साल बाद सचिन-अंजलि की जिंदगी में उस समय खुशियों की बारिश हुई जब 12 अक्टूबर 1997 को इनके घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया। अंजली ने इसका सचिन के नाम पर सारा रखा। सारा के साथ अभी खुशियों के दो साल पूरे भी नहीं हुए थे, कि 24 सितंबर 1999 को सचिन के घर लिटिल तेंदुलकर का जन्म हुआ और सचिन ने इसका नाम अंजलि के नाम पर अर्जुन रखा गया। अर्जुन के आने से सचिन की परिवार पूरा हो गया और ये कंप्लीट हो गई सचिन की फैमली। क्रिकेट के बाद सचिन के लिए उनका परिवार ही सबकुछ है। सचिन कितने भी बिजी रहें लेकिन वो अपने परिवार के लिए हमेशा वक्त निकाल ही लेते हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है वो अपनी बेटी सारा और बेटे अर्जुन के साथ वक्त बिताते हैं। सचिन ने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा, फिर वो खेलप्रेमियों के लिए रही हों या फिर उनके परिवार के लिए। वाकई सचिन तुम्हारी और अंजलि की जोड़ी सुपरहिट है और तुम रीयल हीरो।
रब ने बना दी जोड़ी
धड़ल्ले से चौके-छक्के मारने वाले माही ने चुपके चुपके मोहब्बत की किताब भी पढ़ डाली और धोनी ने छुपे रुस्मत की तरह 4 जुलाई 2010 को साक्षी रावत से शादी रचा ली। लेकिन धोनी और साक्षी की मुकालात कब हुई, कैसे माही का दिल साक्षी ने चुरा लिया, ये सवाल हर कोई नहीं जानता। तो आप खुद ही पढ़ लीजिए कि कब साक्षी ने टीम इंडिया के कैप्टन कूल को क्लीन बोल्ड कर दिया। दरअसल साक्षी रावत उन दिनों औरंगाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थीं और वो कोलकाता के होटल ताज में इंटर्नशिप कर रही थीं। उन्हीं दिनों जॉन अब्राहम ने एक पार्टी दी, जिसमें टीम इंडिया को भी न्यौता भेजा गया। इसी पार्टी के दौरान पहली बार धोनी की नजर साक्षी पर पड़ी और फिर वो उनकी खूबसूरती के दीवाने हो गए। फिर क्या धोनी ने साक्षी को प्रपोज कर दिया और दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ने लगा। ऐसे में धोनी ने शादी के बारे में अपने परिवार से बात की और महेंद्र सिंह धोनी की शादी खूबसूरत साक्षी से तय हो गई। साक्षी से धोनी की सगाई तो हो गई है लेकिन धोनी और साक्षी का ये सिर्फ एक मुलाकात में हुआ प्यार नहीं था। धोनी, साक्षी से मिलने के लिए कभी कोलकाता, कभी मसूरी तो कभी औरंगाबाद के चक्कर लगाते नजर आए। जाहिर है माही और साक्षी की मुलाकात कोई नई नहीं थी। धोनी और साक्षी की मुलाकात कभी भी हुई हो, लेकिन माही ने कभी भी साक्षी को सुर्खियों में नहीं आने दिया। धोनी की इसी अदा सभी को दीवान बना देती है। इन दोनों के बीच प्यार की बगिया ऐसे ही महकती रहे, माही के फैन्स की यही शुभकामनाएं हैं।
मोहब्बत जिंदाबाद
घर के पड़ोस में रहने वाली लड़की या लड़के को आपस में प्यार हो जाए, ये किस्सा कोई नया नहीं है। इस तरह के सीन ज्यादातर हिन्दी फिल्मों में देखने को मिल जाते हैं, लेकिन तारीफ तो उन प्यार करने वालों की है। जो इस प्यार को शादी का सर्टिफिकेट दिला दे। प्यार की ऐसी ही स्टोरी टीम इंडिया को पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और उनकी पत्नी डोना की है। डोना और गांगुली के परिवार पड़ोसी थे, यहां तक की कोलकाता के बेहाला स्थित इन दोनों घरों की बाउंड्री वॉल एक ही थी और फिल्मी कहानी की तरह दोनों परिवारों में दुश्मनी थी, लेकिन सौरव और डोना तो बचपन से ही एक दूसरे को चाहने लगे थे। गांगुली सेंट जेवियर में पढ़ा करते थे और डोना लोरेटो कॉन्वेंट में, गांगुली डोना की एक झलक पाने के लिए उनके स्कूल के चक्कर काटा करते थे और किसी दिन वो नहीं दिख पाती थी, तो गांगुली उन्हें याद करके ही मुस्कुरा लिया करते थे। जब डोना 12वीं क्लास में आईं तो दोनों अपने रिश्ते को लेकर सीरियस हो गए, लेकिन दोनों के परिवार इस शादी के खिलाफ थे। खासकर गांगुली की फैमिली किसी गैर ब्राह्ममिन लड़की को अपनी बहू नहीं बनाना चाहते थे। समय अपनी रफ्तार से चलता रहा और दोनों अपने-अपने करियर को संवारने में लग गए। सौरव का चयन भारतीय टीम में हो चुका था। इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान पर अपने पहले ही मैच में शतक जमाकर सौरव मशहूर हो गए और फिर दोनों ने कोर्ट मैरिज करने का फैसला कर लिया। गांगुली ने इसके लिए अपने साथी खिलाड़ी मोलोय बेनर्जी को राजी कर लिया, लेकिन मीडिया से बचने के लिए गांगुली ने रजिस्ट्रार को बेनर्जी के घर ही बुलवा लिया और 12 अगस्त 1996 में सौरव और डोना कानूनी तौर पर एक-दूसरे के हो गए। उस समय सौरव 23 और डोना 20 साल की थीं, लेकिन शादी की बात भला कब तक छुपती। जल्द ही दोनों परिवारों को मिस्टर एंड मिसेज गांगुली के बारे में पता चल गया। पहले दोनों के परिवार वाले नाराज हुए, लेकिन बाद में अपने बच्चों की खुशी में शरीक हो गए और 21 फरवरी 1997 को दोनों परिवारों ने मिलकर एक बार फिर दोनों की शादी रस्मो-रिवाज के साथ करवा दी। गांगुली और डोना की ये थी फिल्मी लव स्टोरी, लेकिन रीयल।
नज़र न लगे
प्यार की कोई जुबां नहीं होती इसे तो महसूस किया जाता है और जब कोई इंसान इसे समझने लगता है। तो वो प्यार में डूब जाता है। भारत के ज्यादातर क्रिकेटरों की कुछ ऐसी ही कहानी है। किसी का दिल साधारण सी लड़की पर आ गया, तो किसी का दिल बॉलीवुड की हसीना पर। प्यार की कुछ ऐसी ही कहानी टीम इंडिया के वीरेंद्र सहवाग की है। तब वीरू नौ साल के थे और आरती छह साल की। आरती की बुआ वीरेंद्र सहवाग की नजदीकी रिश्तेदारी में ब्याही थीं, लिहाजा दोनों ही एक-दूसरे को बचपन से जानते थे और दोनों का एक दूसरे के यहां आना जाना भी रहता था, लेकिन दोनों की बीच नजदीकियां 2001 में आईं। वीरू, आरती के इस कदर कायल हुए कि उन्होंने अपने दिल की बात उन्हें बता दी। वैसे आरती को इस दिन का इंतजार बहुत पहले से था। लेकिन दोनों की शादी इतनी आसान नहीं थी। फिर भी दोनों ने अपने प्यार की ताकत पर घरवालों को मना लिया और हमेशा के लिए एक दूसरे के हो गए। ये कहानी है एक क्रिकेटर और साधारण लड़की की। जिन्होंने दिखा दिया कि प्यार के आगे दुनिया को भी झुकाया जा सकता है।
जोड़ी कमाल की
अब आपको बताते हैं एक क्रिकेटर और बॉलीवुड एक्ट्रेस की रीयल लव स्टोरी। इस लव स्टोरी के हीरो हैं टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और हीरोइन हैं संगीता बिजलानी। कहने को जब इन्हें एक दूसरे से प्यार हुआ तो दोनों शादीशुदा थे। लेकिन प्यार किसी चीज का मोहताज नहीं होता, वो तो कभी भी किसी से हो सकता है। अजहर, संगीता के प्यार में इस कदर डूबे, कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया। तो संगीता भी अपना सबकुछ छोड़कर अजहर के पास चली आईं।
एक दूजे के लिए
सफेद रंग के गाउन में लारा दत्ता और ब्लैक रंग के सूट में महेश भूपति जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे, उनका एक-एक सपना सच होता जा रहा था। वो सपने जो इस दिन से पहले दोनों ने एक साथ अपनी पलकों पर संजोए थे। लारा दत्ता को देखकर तो ऐसा लग रहा था, मानों आसमान से कोई परी जमीं पर आ गई हो। तो वहीं भूपति ब्लैक आउटफिट में किसी हीरो से कम नहीं दिख रहे थे। दोनों अपनी शादी में ऐसे झूमकर नाचे, कि कुछ देर के लिए वो सारी दुनिया भूल गए। टेनिस के स्टार खिलाड़ी महेश भूपति और बॉलीवुड की हसीन तारिका लारा दत्ता एक दूसरे के पास कैसे आ गए। ये सवाल आप सभी के जहन में दस्तक दे रहा होगा। अपनी शादी पर 32 साल की हो चुकीं लारा दत्ता ने 2000 में मिस यूनिवर्स बनी। न्यूयॉर्क में रहते हुए कुछ दिनों तक उन्होंने बेसबॉल खिलाड़ी डेरेक जेटर के साथ डेटिंग की। महेश भूपति भी अमेरिका में रह चुके हैं और उनकी पहली शादी 2001 में मॉडल श्वेता जयशंकर से हुई थी। इसी बीच दोनों की मुलाकात हुई और पहली नजर में प्यार भी हो गया, फिर क्या दोनों ने सात जन्मों तक साथ रहने के वादे कर लिए और साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं। फिर क्या दोनों ने जरा भी देर नहीं की और शादी से कुछ दिनों पहले मुंबई में कोर्ट मैरिज कर ली। दोनों ने अपनी कोर्ट मैरिज की गोवा में अपने चाहने वालों को दावत भी दी और फिर वो दिन आ गाय जब 16 फरवरी 2011 को दोनों ने ईसाई रीति रिवाज से एक बार फिर शादी रचा ली। शादी के वक्त महेश भूपति ने जहां लारा को पूरा साथ देने का वादा किया। तो वहीं लारा की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। इन दोनों के चेहरे की चमक बता रही थी कि वाकई ये जोड़ी एक-दूजे के लिए बनी है।